संजय सिन्हा की कहानी का शीर्षक है- योग्यता और चाहत. हम जिस चीज़ के योग्य नहीं होते हैं, उसकी चाहत भी क्यों करते हैं? अंग्रेजी में एक कहावत है- पहले योग्य बनो, फिर चाहो. महाभारत के महान वीर कर्ण की इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार ऐसी जगह हो, जहां कोई पाप न हो. कर्ण ने अपनी ये इच्छा कृष्ण से ज़ाहिर की थी. युद्ध में जब कर्ण की मृत्यु हो गई तो उस जगह की बहुत तलाश की गई जहां पाप न हो. पर हाय री किस्मत! संपूर्ण धरा पर कहीं इतनी-सी जगह भी न मिली जहां पाप न हो. संजय सिन्हा कहते हैं कि जिस किसी को पाप रहित संसार चाहिए, उसे पहले अपने मन से पाप को निकालना होगा. अगर मन से पाप न निकल पाए तो कम से कम पाप रहित धरती पर अंतिम संस्कार की इच्छा तो नहीं ही रखनी चाहिए.
नई दिल्ली : भूषण स्टील लिमिटेड के प्रमोटर और मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज सिंघलको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में सिंघल को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत को बहाल रखा है. हालांकि हाईकोर्ट में मामले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को अपने पास ट्रांसफर करने का भी आदेश दिया है. दरअसल, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) और केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती थी जिसमें हाईकोर्ट ने सिंघल को जमानत दे दी थी. नीरज सिंघल पर आरोप है कि 80 अलग-अलग फर्मों का उपयोग करते हुए भूषण स्टील के बैंक ऋण से 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी की है. सिंघल को आठ अगस्त को कंपनी कानून के तहत केंद्र सरकार के मई 2016 के आदेश के तहत एसएफआईओ की भूषण स्टील लिमिटेड और भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के कामकाज की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने सिंघल को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और दो-दो लाख रुपये के दो जमानती देने का आदेश देते हुए अंतरिम राहत दी थी. नीरज सिंघल ऐसे पहले व्यक्ति
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