नई दिल्ली : भूषण स्टील लिमिटेड के प्रमोटर और मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज सिंघलको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में सिंघल को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत को बहाल रखा है. हालांकि हाईकोर्ट में मामले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को अपने पास ट्रांसफर करने का भी आदेश दिया है.
दरअसल, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) और केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती थी जिसमें हाईकोर्ट ने सिंघल को जमानत दे दी थी. नीरज सिंघल पर आरोप है कि 80 अलग-अलग फर्मों का उपयोग करते हुए भूषण स्टील के बैंक ऋण से 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी की है. सिंघल को आठ अगस्त को कंपनी कानून के तहत केंद्र सरकार के मई 2016 के आदेश के तहत एसएफआईओ की भूषण स्टील लिमिटेड और भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के कामकाज की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
हाईकोर्ट ने सिंघल को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और दो-दो लाख रुपये के दो जमानती देने का आदेश देते हुए अंतरिम राहत दी थी. नीरज सिंघल ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें एसएफआईओ ने गिरफ्तार किया था. एसएफआईओ को पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार करने का अधिकार मिला था.
सिंघल ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कंपनी कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि यह मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि इसमें अनुचित अंकुश लगाए गए हैं. याचिका में ये भी कहा गया था कि यह गिरफ्तारी गैरकानूनी है क्योंकि जांच एजेंसी ने गिरफ्तारी के समय सिंघल को हिरासत में लेने की वजह के बारे में न तो मौखिक और न ही लिखित रूप से कोई जानकारी दी.
बता दें कि वित्त मंत्रालय के मुताबिक सिंघल पर कथित तौर पर 80 से ज्यादा कंपनियों की मदद से 2500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि के गलत इस्तेमाल का आरोप है. यह राशि भूषण स्टील लिमिटेड ने कर्ज के जरिये जुटाई थी. कंपनियों का इस्तेमाल एक-दूसरे को कर्ज व एडवांस देनेवनिवेश करने के नाम पर धोखाधड़ी को अंजाम देने में किया जाता था.
मंत्रालय ने ट्वीट में कहा था कि इस तरह की धोखाधड़ी वाली गतिविधियों के कारण ही कंपनी दिवालिया हो गई. मंत्रालय ने बताया था कि भूषण स्टील उन 12 बड़े मामलों में से है, जिन्हें इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन के लिए चुना गया था.
दरअसल, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) और केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती थी जिसमें हाईकोर्ट ने सिंघल को जमानत दे दी थी. नीरज सिंघल पर आरोप है कि 80 अलग-अलग फर्मों का उपयोग करते हुए भूषण स्टील के बैंक ऋण से 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी की है. सिंघल को आठ अगस्त को कंपनी कानून के तहत केंद्र सरकार के मई 2016 के आदेश के तहत एसएफआईओ की भूषण स्टील लिमिटेड और भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के कामकाज की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
हाईकोर्ट ने सिंघल को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और दो-दो लाख रुपये के दो जमानती देने का आदेश देते हुए अंतरिम राहत दी थी. नीरज सिंघल ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें एसएफआईओ ने गिरफ्तार किया था. एसएफआईओ को पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार करने का अधिकार मिला था.
सिंघल ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कंपनी कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि यह मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि इसमें अनुचित अंकुश लगाए गए हैं. याचिका में ये भी कहा गया था कि यह गिरफ्तारी गैरकानूनी है क्योंकि जांच एजेंसी ने गिरफ्तारी के समय सिंघल को हिरासत में लेने की वजह के बारे में न तो मौखिक और न ही लिखित रूप से कोई जानकारी दी.
बता दें कि वित्त मंत्रालय के मुताबिक सिंघल पर कथित तौर पर 80 से ज्यादा कंपनियों की मदद से 2500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि के गलत इस्तेमाल का आरोप है. यह राशि भूषण स्टील लिमिटेड ने कर्ज के जरिये जुटाई थी. कंपनियों का इस्तेमाल एक-दूसरे को कर्ज व एडवांस देनेवनिवेश करने के नाम पर धोखाधड़ी को अंजाम देने में किया जाता था.
मंत्रालय ने ट्वीट में कहा था कि इस तरह की धोखाधड़ी वाली गतिविधियों के कारण ही कंपनी दिवालिया हो गई. मंत्रालय ने बताया था कि भूषण स्टील उन 12 बड़े मामलों में से है, जिन्हें इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन के लिए चुना गया था.
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