गुजरात के अहमदाबाद शहर के नर्मदा घाट पर बनी दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभभाई पटेल की इमारत का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया. आशु दास | Oct 31, 2018, 10:54 AM IST देश के लौह पुरुष कहलाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस प्रतिमा को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का नाम दिया गया है. इस मूर्ति की उंचाई 182 मीटर है जो दुनियाभर में इस तरह के बने स्टैच्यू में सबसे उंची होगी. लेकिन आपको पता है कि दुनिया में अब तक कौन सी ऐसी स्टैस्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of unity) महज 33 महीने में बनकर तैयार हुई है, जो विश्व रिकॉर्ड है. रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया. कंपनी ने कहा कि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा. एलएंडटी ने अपने आधिकारिक बयान में बताया है कि इस मूर्ति का निर्माण 2,989 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है. प्रतिमा अपने आप में अनूठी है. इसके पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है.च्यू हुए हैं, जिन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाया हो. सरदार पटेल की स्टैच्यू से पहले चीन में बनी भगवान बुद्ध की प्रतिमा को दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होने का रूतबा हासिल था. चीन में बनी भगवान गौतम बुद्ध की इस मूर्ति की उंचाई 66 फुट है. स्टैंड से लेकर मुर्ति की कुल उंचाई 502 फीट (153 मीटर) है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, इस मूर्ति का निर्माण 1997 से 2008 के बीच चीन के हेनान प्रांत के लुशान टाउनशिप में हुआ था. सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का निर्माण होने से पहले लायकुन सेटकीयर को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा कहा जाता है, लेकिन अब ये तीसरी सबसे ऊंची प्रतिमा कहलाएगी. म्यांमाक के मोन्यावा में स्थित इस प्रतिमा की ऊंचाई 116 मीटर है. इस प्रतिमा का निर्माण 1996 में शुरू हुआ था और 2008 में यह कार्य पूरा हुआ था. खास बात ये है कि इस प्रतिमा के अंदर एक लिफ्ट लगी हुई है. जिसके अंदर जाजापान के उशिकू शहर में स्थित उशिकू दाइ बुतु स्टैत्यू की ऊंचाई 120 मीटर है. इस मूर्ति का निर्माण कार्य 1933 में खत्म हुआ था. यह मूर्ति पूर्णतः ब्रांज धातु से बनी हुई है. कर अमेरिका के लिबर्टी आइलैंड न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक जाते हैं. इस मूर्ति की खासियत है कि इसको फ्रांस के कारीगरों द्वारा अमेरिका को गिफ्ट किया गया था. इस विशालकाय प्रतिमा की ऊंचाई 93 मीटर है. यह मूर्ति 28 अक्टूबर 1886 को बन कर तैयार हुआ था, इसका निर्माण पूरी तरह से तांबे से हुआ था. सैलानी शहर की झलक को देख सकते हैं.थाइलैंड में भी गौतम बुद्ध की एक विशालकाय प्रतिमा स्थापित है. यह थाइलैंड की सबसे ऊंची और दुनिया की नौवीं सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक है. यह बुद्ध प्रतिमा थाईलैंड के आंग थोंग प्रान्त में वाट मंग बौद्ध विहार में स्थित है. इस प्रतिमा की कुल ऊंचाई 92 मीटर यानि की 300 फुट है. वहीं, इसकी चौड़ाई की बात करें तो यह 63 मीटर यानि की 210 फुट है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस प्रतिमा का निर्माण 1990 में शुरू हुआ था और 2008 में पूरा हुआ था. द मदरलैंड कॉल्स रूस के वोल्गोग्राड में स्थित है. स्टालिन के साथ की लड़ाई के हीरो की याद में ये स्टैच्यू बनाया गया है. इसकी उंचाई 85 मीटर है. इसमें एक महिला की मूर्ति है जिसके हाथ में एक तलवार है और वह आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. जानकारी के मुताबिक ये मूर्ति मई 1959 में बनना शुरू हुआ था और 15 अक्टूबर 1967 को बन कर तैयार हुआ था.
नई दिल्ली : भूषण स्टील लिमिटेड के प्रमोटर और मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज सिंघलको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में सिंघल को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत को बहाल रखा है. हालांकि हाईकोर्ट में मामले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को अपने पास ट्रांसफर करने का भी आदेश दिया है. दरअसल, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) और केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती थी जिसमें हाईकोर्ट ने सिंघल को जमानत दे दी थी. नीरज सिंघल पर आरोप है कि 80 अलग-अलग फर्मों का उपयोग करते हुए भूषण स्टील के बैंक ऋण से 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी की है. सिंघल को आठ अगस्त को कंपनी कानून के तहत केंद्र सरकार के मई 2016 के आदेश के तहत एसएफआईओ की भूषण स्टील लिमिटेड और भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के कामकाज की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने सिंघल को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और दो-दो लाख रुपये के दो जमानती देने का आदेश देते हुए अंतरिम राहत दी थी. नीरज सिंघल ऐसे पहले व्यक्ति
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