नई दिल्ली : देवरिया के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने एससी/एसटी एक्टपर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस कानून के ख़िलाफ़ कलराज मिश्रा ने मोर्चा खोलते हुए कहा कि सरकार को एससी-एसटी एक्ट पर पुनर्विचार करना चाहिए. इस एक्ट का दुरूपयोग हो रहा है.
उन्होंने कहा कि 'सभी दलों के साथ मिलकर इस बिल में ऐसा संशोधन करना चाहिए ताकि कोई भी वर्ग परेशान ना हो. ब्राह्मणों और सवर्णों के साथ-साथ पिछड़ों में भी इस एक्ट को लेकर बहुत नाराज़गी है. इस एक्ट से सभी वर्ग के लोग नाराज़ हो रहे हैं. क्षेत्रों से बड़ी शिकायतें मिली हैं. लोग त्रस्त हैं. फैज़ाबाद में एक ब्राह्मण के पूरे परिवार को फर्ज़ी मुकदमे में गिरफ्तार कर लिया गया. अधिकारी हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं. ये जानते हुए भी निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है'. उन्होंने कहा कि इसकी प्रतिक्रिया में लोग सामने आएंगे. सभी दलों को इसका संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि सभी दलों ने एक साथ इस बिल को पास कराया था.
उधर, केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने सभी प्राइवेट टीवी चैनलों को एक एडवाइजरी जारी कर 'दलित' शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने को कहा है. दरअसल 'दलित' शब्द के इस्तेमाल पर बांबे हाईकोर्ट के रोक लगाने के फैसले के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने यह सलाह दी है कि इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाए. इस एडवाइजरी में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के 15 मार्च को जारी किए गए उस सर्कुलर का हवाला दिया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को शेड्यूल्ड कास्ट (अनुसूचित जाति) शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी.
हालांकि बीजेपी के दलित सांसद ने इस शब्द को चलन में बताते हुए इसे स्वीकार्य बताया है. उदित राज ने कहा, ''दलित का मतलब शेड्यूल्ड क्लास (अनुसूचित वर्ग) होता है. 'दलित' शब्द का व्यापक इस्तेमाल होता है और यह स्वीकार्य भी है. इस संबंध में मंत्रालय की एडवाइजरी तो ठीक है लेकिन इसको अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए.''
उन्होंने कहा कि 'सभी दलों के साथ मिलकर इस बिल में ऐसा संशोधन करना चाहिए ताकि कोई भी वर्ग परेशान ना हो. ब्राह्मणों और सवर्णों के साथ-साथ पिछड़ों में भी इस एक्ट को लेकर बहुत नाराज़गी है. इस एक्ट से सभी वर्ग के लोग नाराज़ हो रहे हैं. क्षेत्रों से बड़ी शिकायतें मिली हैं. लोग त्रस्त हैं. फैज़ाबाद में एक ब्राह्मण के पूरे परिवार को फर्ज़ी मुकदमे में गिरफ्तार कर लिया गया. अधिकारी हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं. ये जानते हुए भी निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है'. उन्होंने कहा कि इसकी प्रतिक्रिया में लोग सामने आएंगे. सभी दलों को इसका संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि सभी दलों ने एक साथ इस बिल को पास कराया था.
उधर, केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने सभी प्राइवेट टीवी चैनलों को एक एडवाइजरी जारी कर 'दलित' शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने को कहा है. दरअसल 'दलित' शब्द के इस्तेमाल पर बांबे हाईकोर्ट के रोक लगाने के फैसले के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने यह सलाह दी है कि इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाए. इस एडवाइजरी में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के 15 मार्च को जारी किए गए उस सर्कुलर का हवाला दिया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को शेड्यूल्ड कास्ट (अनुसूचित जाति) शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी.
हालांकि बीजेपी के दलित सांसद ने इस शब्द को चलन में बताते हुए इसे स्वीकार्य बताया है. उदित राज ने कहा, ''दलित का मतलब शेड्यूल्ड क्लास (अनुसूचित वर्ग) होता है. 'दलित' शब्द का व्यापक इस्तेमाल होता है और यह स्वीकार्य भी है. इस संबंध में मंत्रालय की एडवाइजरी तो ठीक है लेकिन इसको अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए.''
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