चेन्नई: घोटाले तो कई हुए हैं, लेकिन कुछ घोटाले आपको हैरान कर देते हैं. ऐसा ही हैरान कर देने वाला एक बैंक घोटाला तमिलनाडु में सामने आया. यह मामला भारतीय स्टेट बैंक में 60 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा है. यह मामला विरुधुनगर और ठेणी जिले का है. इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि 16 लोगों के नाम पर करोड़ों रुपए का कर्ज लिया गया, लेकिन इनमें से 15 लोगों की संदिग्ध हालात में मौत महज छह माह के अन्दर हो जाती है और एक लापता है. इस घोटाले के पीछे के दो मास्टरमाइंड फिलहाल पेरियाकुलम जेल में हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सबसे अहम बात यह है कि इतनी मौत हो जाने के बावजूद तब इसकी जांच नहीं की गई थी. पुलिस ने इसकी पुष्टि की है कि मरने वाले सभी विरुधुनगर और दक्षिण तमिलनाडु के गांव के हैं और उनके नाम से लोन था. मरने वालों में से तीन के नाम सामने आए हैं, जिनमें महालिंगम और पांडी नाम के व्यक्ति की मौत उसके घर में हुई जबकि राजगोपाल अपने पड़ोस में मृत पाया गया.
दस्तावेज पर उनके हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर लोन राशि हासिल कर पहले उसे उनके अस्थायी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया और बाद में वहां से पैसे किसी और अकाउंट में जमा करा लिया. इस घोटाले का खुलासा तब सामने आया जब बैंक ने लोन की किस्त चुकाने के लिए उन्हें नोटिस भेजना शुरू किया. इसी सिलसिले में नगामुथु नाम के एक रीयल एस्टेट एजेंट जो बाद में पानी के कारोबार में आ गया था, को बैंक नोटिस मिलने के बाद लापता बताया गया. उसे नोटिस में बताया गया कि उसने 96 लाख रुपये का कर्ज लिया है और अब वह उसका भुगतान बैंक को करे.
वह पिछले छह माह से लापता है. उसकी पत्नी को अपनी एक बेटी की पढ़ाई बंद करानी पड़ी क्योंकि उसके पास फीस चुकाने के पैसे नहीं थे. मामले में जांचकर्ताओं का कहना है कि वेलमुरुगन और शेनबगान विरुधुनगर और ठेणी जिले में कई सौ करोड़ रुपए के लोन घोटाले में शामिल थे. एक मजदूर वेयिल मुथु अलगुराजा की शिकायत पर अब वह दोनों सलाखों के पीछे हैं. पुलिस का कहना है कि अबतक इन दोनों के खिलाफ 400 से भी अधिक शिकायतें मिली हैं. सोमवार को एक तीसरे संदिग्ध को भी हिरासत में लिया गया है. इस घटना ने बैंक, वहां के लोग और प्रशासन की नींद उड़ा दी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सबसे अहम बात यह है कि इतनी मौत हो जाने के बावजूद तब इसकी जांच नहीं की गई थी. पुलिस ने इसकी पुष्टि की है कि मरने वाले सभी विरुधुनगर और दक्षिण तमिलनाडु के गांव के हैं और उनके नाम से लोन था. मरने वालों में से तीन के नाम सामने आए हैं, जिनमें महालिंगम और पांडी नाम के व्यक्ति की मौत उसके घर में हुई जबकि राजगोपाल अपने पड़ोस में मृत पाया गया.
पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के अनुसार अप्राकृ्तिक मौत का केस दर्ज किया और फाइल बंद कर दी. मरने वाले सभी लोग इस घोटाले के एक मास्टरमाइंड के मिल में काम करते थे. एसबीआई का कहना है कि 169 किसान पर 25 से 40 लाख रुपये तक के लोन लेने पर पाबंदी लगी हुई है. पुलिस का कहना है कि वे लोग रोजाना कमाने वाले मजदूर थे जिनका हस्ताक्षर घोटाले के दोनों मास्टरमाइंड- ओएमएस वेलमुरुगन और उसका भतीजा आर. शेनबगान ने उनसे सरकारी पेंशन मिलने के नाम पर हासिल कर लिया था.
दस्तावेज पर उनके हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर लोन राशि हासिल कर पहले उसे उनके अस्थायी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया और बाद में वहां से पैसे किसी और अकाउंट में जमा करा लिया. इस घोटाले का खुलासा तब सामने आया जब बैंक ने लोन की किस्त चुकाने के लिए उन्हें नोटिस भेजना शुरू किया. इसी सिलसिले में नगामुथु नाम के एक रीयल एस्टेट एजेंट जो बाद में पानी के कारोबार में आ गया था, को बैंक नोटिस मिलने के बाद लापता बताया गया. उसे नोटिस में बताया गया कि उसने 96 लाख रुपये का कर्ज लिया है और अब वह उसका भुगतान बैंक को करे.
वह पिछले छह माह से लापता है. उसकी पत्नी को अपनी एक बेटी की पढ़ाई बंद करानी पड़ी क्योंकि उसके पास फीस चुकाने के पैसे नहीं थे. मामले में जांचकर्ताओं का कहना है कि वेलमुरुगन और शेनबगान विरुधुनगर और ठेणी जिले में कई सौ करोड़ रुपए के लोन घोटाले में शामिल थे. एक मजदूर वेयिल मुथु अलगुराजा की शिकायत पर अब वह दोनों सलाखों के पीछे हैं. पुलिस का कहना है कि अबतक इन दोनों के खिलाफ 400 से भी अधिक शिकायतें मिली हैं. सोमवार को एक तीसरे संदिग्ध को भी हिरासत में लिया गया है. इस घटना ने बैंक, वहां के लोग और प्रशासन की नींद उड़ा दी है.
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