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सरकार ने जताया 'दलित' शब्द पर ऐतराज, विपक्षी कांग्रेस के इस नेता का भी मिला साथ
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से मीडिया से कहा गया है कि वह दलित शब्द की जगह अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल करे. इस मामले में दलित संगठनों ने सरकार की राय पर ऐतराज जाहिर किया है. यहां तक की पार्टी के कई दलित नेता भी सरकार की राय के खिलाफ हैं. लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष पीएल पुनिया ने इस मामले में सरकार के कदम का समर्थन किया है. जी-डिजिटल से बातचीत में पुनिया ने कहा, ‘‘संविधान में और कानूनी रूप से अनुसूचित जाति शब्द ही सही है. दलित शब्द तो लोकप्रचलन में आ गया है. मेरे हिसाब से अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग होना चाहिए.’’
पीएल पुनिया ने कहा कि यही बात आदिवासियों के बारे में भी लागू होती है. उन्होंने कहा कि संविधान में अनुसूचित जनजाति शब्द दिया गया है. बेहतर यह होगा कि इन वर्गों का जिक्र करते समय संविधान में इस्तेमाल किए गए शब्दों का ही इस्तेमाल किया जाए. इन संज्ञाओं के जरिए ही आधिकारिक रूप से समाज को रिप्रजेंट किया जा सकता है.
गौरतलब है कि मीडिया के लिए इस तरह की एडवाइजरी जारी करने से पहले इस साल मार्च में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को भी इसी तरह के आदेश जारी किए थे. मंत्रालय ने भी तब यही कहा था कि दलित शब्द का जिक्र संविधान में कहीं नहीं है, इसलिए अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग किया जाए.
मीडिया के लिए सरकार के ताजा निर्देश ऐसे समय पर आए हैं जब अनुसूचित जाति जनजाति उत्पीड़न निवारण कानून को लेकर देश में बहस छिड़ी हुई है. और देश के कई इलाकों में अगड़ी जातियां सरकार के रुख के खिलाफ खुलकर सामने आ गई हैं. दूसरी तरफ दलित शब्द लंबे समय से वंचित तबके के लिए खुद को व्यक्त करने का माध्यम बन गया है और अस्मिता से जुड़ गया है. इस मामले में भाजपा सांसद उदित राज ने भी सरकार के फैसले को गलत बताया है. ऐसे में सरकार को कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता का साथ मिलना राहत की बात है.
दलित सांसद उदित राज ने 'दलित' शब्द को चलन में बताते हुए इसे स्वीकार्य बताया है.(फाइल फोटो) उदित राज ने 'दलित' शब्द को स्वीकार्य बताया हालांकि बीजेपी के दलित सांसद उदित राज ने इस शब्द को चलन में बताते हुए इसे स्वीकार्य बताया है. उदित राज ने कहा, ''दलित का मतलब शेड्यूल्ड क्लास (अनुसूचित वर्ग) होता है. 'दलित' शब्द का व्यापक इस्तेमाल होता है और यह स्वीकार्य भी है. इस संबंध में मंत्रालय की एडवाइजरी तो ठीक है लेकिन इसको अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए.''
ANI ✔@ANI
Dalit means scheduled class. The term 'Dalit' is widely used and accepted. An advisory is fine but it should not be made compulsory: Udit Raj BJP MP on an advisory by I&B ministry to the media to stop using the word 'Dalit’ pic.twitter.com/hios1lxeNC
सरकार की एडवाइजरी
दरअसल केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने सभी प्राइवेट टीवी चैनलों को एक एडवाइजरी जारी कर 'दलित' शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने को कहा है. 'दलित' शब्द के इस्तेमाल पर बांबे हाई कोर्ट के रोक लगाने के फैसले के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने यह सलाह दी है कि इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाए. इस एडवाइजरी में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के 15 मार्च को जारी किए गए उस सर्कुलर का हवाला दिया गया है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को शेड्यूल्ड कास्ट (अनुसूचित जाति) शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी. सरकार ने 'दलित' शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने के संबंध में एक एडवाइजरी जारी की है.(फाइल फोटो) बांबे हाई कोर्ट का फैसला उल्लेखनीय है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सात अगस्त को सभी निजी टीवी चैनलों को संबोधित करके लिखे गए पत्र में बंबई उच्च न्यायालय के जून के एक दिशा-निर्देश का उल्लेख किया गया है. उस दिशा-निर्देश में मंत्रालय को मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर एक निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा गया था. पंकज मेशराम की याचिका पर बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने ये निर्देश दिया था.
इस साल जून में बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा था कि जैसे कि केंद्र सरकार ने अपने अफसरों को उचित दिशा-निर्देश दिए हैं. उसी तरह वह प्रेस परिषद और मीडिया को भी दलित शब्द का प्रयोग न करने के लिए आगाह कर सकता है.
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