नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों के खिलाफ एक के बाद एक केस जिस तरह से अदालतों में खारिज हुए हैं, इससे दिल्ली पुलिस पर दबाव बढ़ गया है. अब इससे सीख लेते हुए दक्षिण रेंज के स्पेशल पुलिस कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) ने पिछले हफ्ते सात डीसीपी की बैठक बुलाई और बचे हुए केस की चार्जशीट दाखिल करने से पहले उसकी गहन जांच करने के निर्देश दिए हैं.
करीब साढ़े पांच महीने पहले आप विधायकों, सांसदों की भूमिका की जांच की सुनवाई के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया था. सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से दाखिल 22 मामलों में से 19 में आप के विधायक या नेता रिहा हो गए या निर्दोष साबित हुए. राहत पाए आप विधायकों या नेताओं में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पविहन मंत्री कैलाश गहलोत और पूर्व मंत्री असीम अहमद खान भी शामिल हैं.
31 जुलाई तक का रिकॉर्ड यह दिखाता है कि पार्टी के एमएलए दो मामलों में दोषी पाए गए थे. एक अन्य मामले में सीबीआई ने साक्ष्य मौजूद न होने की वजह से क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, स्पेशल पुलिस कमिश्नर आरपी उपाध्याय को दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने उन डीसीपी से मिलने को कहा था जो उन्हें रिपोर्ट करते हैं. साथ ही आप एमएलए और सासंद के खिलाफ दर्ज मामले पर विचार-विमर्श भी करने को कहा. इसपर उपाध्याय ने बीते शुक्रवार को 11 बजे पुलिस मुख्यालय में सात डीसीपी की बैठक बुलाई और मामले में विचार-विमर्श किया.
सूत्रों ने बताया कि उपाध्याय ने सभी डीसीपी को बचे हुए केस में गहन जांच करने के बाद ही चार्जशीट दाखिल करने को कहा है. इसमें जांच अधिकारी पर सबकुछ छोड़ देने के बजाए पुलिस के लीगल डिपार्टमेंट से भी मदद लेने को कहा गया है. जब उपाध्याय से इस बारे में संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि यह लंबित मामले को लेकर बैठक बुलाई गई थी, न कि किसी विशेष मामले के लिए.
एडिशनल सेशन जज अरविंद कुमार और एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन मार्च में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पटियाला हाउस कोर्ट में किया गया था. तब से एडिशनल सेशन जज अरविंद कुमार ने आप के खिलाफ सीबीआई की तरफ से दायर एक मामले का निपटारा किया जिसको लेकर सीबीआई ने बाद में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. जबकि एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने आप नेताओं के खिलाफ विभिन्न शिकायतों को लेकर दाखिल याचिका के 21 मामलों का निपटारा किया. इसमें आप विधायकों के खिलाफ कई तरह के आरोप थे.
करीब साढ़े पांच महीने पहले आप विधायकों, सांसदों की भूमिका की जांच की सुनवाई के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया था. सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से दाखिल 22 मामलों में से 19 में आप के विधायक या नेता रिहा हो गए या निर्दोष साबित हुए. राहत पाए आप विधायकों या नेताओं में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पविहन मंत्री कैलाश गहलोत और पूर्व मंत्री असीम अहमद खान भी शामिल हैं.
31 जुलाई तक का रिकॉर्ड यह दिखाता है कि पार्टी के एमएलए दो मामलों में दोषी पाए गए थे. एक अन्य मामले में सीबीआई ने साक्ष्य मौजूद न होने की वजह से क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, स्पेशल पुलिस कमिश्नर आरपी उपाध्याय को दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने उन डीसीपी से मिलने को कहा था जो उन्हें रिपोर्ट करते हैं. साथ ही आप एमएलए और सासंद के खिलाफ दर्ज मामले पर विचार-विमर्श भी करने को कहा. इसपर उपाध्याय ने बीते शुक्रवार को 11 बजे पुलिस मुख्यालय में सात डीसीपी की बैठक बुलाई और मामले में विचार-विमर्श किया.
सूत्रों ने बताया कि उपाध्याय ने सभी डीसीपी को बचे हुए केस में गहन जांच करने के बाद ही चार्जशीट दाखिल करने को कहा है. इसमें जांच अधिकारी पर सबकुछ छोड़ देने के बजाए पुलिस के लीगल डिपार्टमेंट से भी मदद लेने को कहा गया है. जब उपाध्याय से इस बारे में संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि यह लंबित मामले को लेकर बैठक बुलाई गई थी, न कि किसी विशेष मामले के लिए.
एडिशनल सेशन जज अरविंद कुमार और एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन मार्च में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पटियाला हाउस कोर्ट में किया गया था. तब से एडिशनल सेशन जज अरविंद कुमार ने आप के खिलाफ सीबीआई की तरफ से दायर एक मामले का निपटारा किया जिसको लेकर सीबीआई ने बाद में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. जबकि एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने आप नेताओं के खिलाफ विभिन्न शिकायतों को लेकर दाखिल याचिका के 21 मामलों का निपटारा किया. इसमें आप विधायकों के खिलाफ कई तरह के आरोप थे.
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