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क्या संथारा से देह त्याग देंगे जैन मुनि तरुण सागर? दिख रहे हैं बेहद कमजोर

नई दिल्ली: संथारा शुरू कर चुके जैन मुनि तरुण सागर की हालत बेहद नाजुक हो गई है. करीब 20 दिनों से बीमार चल रहे तरुण सागर का वीडियो शुक्रवार को जारी किया गया है. इस वीडियो को आचार्य लोकेश मुनि ने अपने ट्विटर अकाउंट @Munilokesh पर ट्वीट किया है. वीडियो में साफ तौर से दिख रहा है कि तरुण सागर बेहद कमजोर हो गए हैं. वे अन्य जैन मुनियों के साथ बैठे दिख रहे हैं. जैन मुनि उनके शरीर को सहलाते दिख रहे हैं. मानों वे उन्हें हिम्मत दे रहे हों. मैक्स अस्पताल में पीलिया का 20 दिनों से इलाज करा रहे तरुण सागर की तबियत में सुधार नहीं हो रहा था. डॉक्टरों ने जब उन्हें इस बात की जानकारी दी तो उन्होंने आगे इलाज कराने से मना कर दिया और अपने अनुयायियों के साथ गुरुवार शाम कृष्णा नगर (दिल्ली) स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल आ गए. दिल्ली जैन समाज के अध्यक्ष चक्रेश जैन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि तरुण सागर अपने गुरु पुष्पदंत सागर महाराज की स्वीकृति के बाद संथारा ले रहे हैं.













Acharya Lokesh Muni@Munilokesh







समस्त देश वासियों से पूज्य संत तरूणसागर जी के लिए पूज्य आचार्य लोकेशजी की मार्मिक अपील जिस पर उन्होंने स्वयं पीठ थपथपा कर सहमति दी।कृपया इसे आगे सभी तक पहुँचाए।@JainaOrg @YJAtweets @Ratnaworld @YoungJainsIndia @religionworldIN @jainacharya @aniljaindr @DilipGandhiMP @immanojjain








मालूम हो कि जैन धर्म में संथारा मोक्ष प्राप्त करने का जरिया माना जाता है. आमतौर पर यह प्रक्रिया बुजुर्ग अपनाते हैं. इसमें जैन समाज से जुड़े शख्स को जब आभास होता है कि कुछ ही दिनों में उसकी मौत हो जाएगी तो वह खाना-पीना छोड़ देता है. जैन धर्म शास्त्रों के मुताबिक उपवास के जरिए मौत प्राप्त करने की प्रकिया है. हालांकि कोर्ट इसे बैन कर चुका है. राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2015 में इसे आत्महत्या जैसे अपराध की श्रेणी में रखा है. इसे अपनाने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 306 और 309 के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया है. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा रखी है.








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Acharya Lokesh Muni@Munilokesh







जागो जैनों जागो, साम्प्रदायिकता त्यागो।बकरों को बचाने वाला समाज पूज्य संत तरूणसागर जी को बचाने आगे आएँ, विश्व स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराएँ।समाधी के लिए दबाव न बनाएँ। दबाव में ली गयी समाधी समाधी होती ही नहीं। समाधी आख़री विकल्प होता हैं, वह भी स्वेच्छा से।







मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं तरुण सागर
तरुण सागर का असली नाम पवन कुमार जैन है. उनका जन्‍म 26 जून, 1967 को मध्यप्रदेश के दामोह जिले के गुहजी गांव में हुआ था. उनकी मां का नाम शांतिबाई और पिता का नाम प्रताप चंद्र था. बताया जाता है कि उन्होंने 8 मार्च, 1981 को घर-परिवार को त्यागकर संन्यास धारण कर लिया था. तरुण सागर अपने प्रवचनों में बेहद तल्ख शब्दों का प्रयोग करते हैं. कई मौकों पर उन्होंने महिलाओं को लेकर भी आपत्तिजनक बातें कही हैं. हरियाणा विधानसभा में उनके प्रवचन पर काफी विवाद हुआ था, जिसके बाद संगीतकार विशाल ददलानी की टिप्पणी पर बवाल हुआ था. तब विशाल को माफी मांगनी पड़ी थी. मध्‍यप्रदेश सरकार ने 6 फरवरी 2002 को उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया था.

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