बीजिंग: लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से संज्ञानात्मक संबंधी कौशल पर असर पड़ता है जिससे मौखिक और गणित परीक्षा के अंकों में कमी आ सकती है. चीन में किए गए एक शोध में आगाह किया गया है कि सामाजिक कल्याण पर प्रदूषण का अप्रत्यक्ष तौर पर असर सोच से कहीं ज्यादा हो सकता है. यह शोध पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित हुआ है.
अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान में वरिष्ठ शोधार्थी शिओबो झांग ने कहा, ‘‘चीन के शहरों के मुकाबले भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति ज्यादा गंभीर है इसलिए मुझे आशंका है कि भारत में इसका असर बेहद बुरा होगा.’’
झांग ने कहा, ‘‘लंबे समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से मौखिक और गणित परीक्षाओं में ज्ञानात्मक प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न होती है.’’
चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर झांग ने कहा, ‘‘वायु प्रदूषण से संज्ञानात्मक कौशल को होने वाले नुकसान से मानवीय क्षमता के विकास में भी बाधा पैदा होने की आशंका होती है.’’
अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान में वरिष्ठ शोधार्थी शिओबो झांग ने कहा, ‘‘चीन के शहरों के मुकाबले भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति ज्यादा गंभीर है इसलिए मुझे आशंका है कि भारत में इसका असर बेहद बुरा होगा.’’
झांग ने कहा, ‘‘लंबे समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से मौखिक और गणित परीक्षाओं में ज्ञानात्मक प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न होती है.’’
चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर झांग ने कहा, ‘‘वायु प्रदूषण से संज्ञानात्मक कौशल को होने वाले नुकसान से मानवीय क्षमता के विकास में भी बाधा पैदा होने की आशंका होती है.’’
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