हैदराबाद : उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि नोटबंदी के कारण शौचालयों और बिस्तरों के नीचे दबाए गए पैसे निकलकर बैंकिंग प्रणाली में लौट आये हैं. उन्होंने बंद किये गये 500 और हजार रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट प्रणाली में लौट आने की रिजर्व बैंक की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य है कि इससे लोगों को आपत्ति क्यों हुई. उन्होंने कहा कि वह इस बात से खुश हुए कि लगभग सारा पैसा बैंकिंग प्रणाली में लौट आया.
उन्होंने कहा, 'जो पैसे शौचालयों और बिस्तरों के नीचे दबाकर रखा गया था वह बैंकों में लौट आया है. मेरा केवल इतना कहना है कि पैसे लौटकर आये हैं. इसमें से कितना कालाधन अथवा सफेद है, यह देखना रिजर्व बैंक और आयकर विभाग का काम है और वे इसका सत्यापन कर लेंगे.' नायडू ने कहा, 'यदि लोग काला धन को सफेद करना चाहते हैं, संसद ने इसका भी उपाय किया है. कर का भुगतान करिये और उसे राजस्व में शामिल करिये ताकि इसे लोगों की भलाई के लिये खर्च किया जा सके.'
नोटबंदी से नकद लेनदेन कम हुआ: नीति आयोग उपाध्यक्ष
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि नवंबर 2016 में उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को चलन से बाहर करने (नोटबंदी) की वजह से नकद लेनदेन कम हुआ है और डिजिटल भुगतान प्रोत्साहित करने में मदद मिली है. रिजर्व बैंक की कल जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 500 और 1,000 रुपये के बंद किये गये नोट का 99.3 प्रतिशत हिस्सा बैंकिंग प्रणाली में वापस पहुंच गया है. अन्य चीजों के अलावा काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की गई नोटबंदी के समय, परिचालन वाली कुल मुद्रा का लगभग 86-87 प्रतिशत हिस्सा 500 और 1,000 रुपये के रूप में था.
कुमार ने कहा, "कौन कहता है कि नोटबंदी का उद्देश्य कम पैसे वापस लेना था? नोटबंदी ने बाजार और बाजार के मनोविज्ञान पर प्रभाव डाला है. कितना लेनदेन नकद में होता रहा है (नोट प्रतिबंध से पहले) और अब स्थिति क्या है?" एक और सवाल को लेकर, उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय अनुशासन के प्रति प्रतिबद्ध है. इस संबंध में उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने के समय प्रधान मंत्री ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क कटौती के दबाव को दरकिनार किया. उन्होंने आगे कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति, जिसमें ईंधन और भोजन शामिल है, मुख्य मुद्रास्फीति से कम है.
उन्होंने कहा, 'जो पैसे शौचालयों और बिस्तरों के नीचे दबाकर रखा गया था वह बैंकों में लौट आया है. मेरा केवल इतना कहना है कि पैसे लौटकर आये हैं. इसमें से कितना कालाधन अथवा सफेद है, यह देखना रिजर्व बैंक और आयकर विभाग का काम है और वे इसका सत्यापन कर लेंगे.' नायडू ने कहा, 'यदि लोग काला धन को सफेद करना चाहते हैं, संसद ने इसका भी उपाय किया है. कर का भुगतान करिये और उसे राजस्व में शामिल करिये ताकि इसे लोगों की भलाई के लिये खर्च किया जा सके.'
नोटबंदी से नकद लेनदेन कम हुआ: नीति आयोग उपाध्यक्ष
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि नवंबर 2016 में उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को चलन से बाहर करने (नोटबंदी) की वजह से नकद लेनदेन कम हुआ है और डिजिटल भुगतान प्रोत्साहित करने में मदद मिली है. रिजर्व बैंक की कल जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 500 और 1,000 रुपये के बंद किये गये नोट का 99.3 प्रतिशत हिस्सा बैंकिंग प्रणाली में वापस पहुंच गया है. अन्य चीजों के अलावा काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की गई नोटबंदी के समय, परिचालन वाली कुल मुद्रा का लगभग 86-87 प्रतिशत हिस्सा 500 और 1,000 रुपये के रूप में था.
कुमार ने कहा, "कौन कहता है कि नोटबंदी का उद्देश्य कम पैसे वापस लेना था? नोटबंदी ने बाजार और बाजार के मनोविज्ञान पर प्रभाव डाला है. कितना लेनदेन नकद में होता रहा है (नोट प्रतिबंध से पहले) और अब स्थिति क्या है?" एक और सवाल को लेकर, उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय अनुशासन के प्रति प्रतिबद्ध है. इस संबंध में उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने के समय प्रधान मंत्री ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क कटौती के दबाव को दरकिनार किया. उन्होंने आगे कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति, जिसमें ईंधन और भोजन शामिल है, मुख्य मुद्रास्फीति से कम है.
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