नई दिल्ली : जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को विशेष दर्जा और राज्य के स्थाई निवासी की परिभाषा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को होने वाली इस सुनवाई को टालने के लिए एक अर्जी दाखिल की गई है.
राज्य सरकार की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि राज्य में जल्द होने वाले स्थानीय निकायों के चुनावों के मद्देनजर इस मामले पर 31 अगस्त को सुनवाई न करके इसे आगे के लिए टाल दिया जाए.
पीठ करेगी विचार
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट कहा था कि वो विचार करेगा कि क्या अनुच्छेद 35ए संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन तो नहीं करता है, इसमें विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. सुनवाई के दौरान जम्मू और कश्मीर सरकार ने मामले की सुनवाई दिसंबर तक टालने की मांग की थी हालांकि इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई गौर नहीं किया था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि इस मामले को संविधान पीठ के पास विचार के लिए भेजा जाए या नहीं.
श्रीनगर में प्रतिबंध लगा दिया गया
दूसरी ओर अनुच्छेद 35ए के समर्थन में अलगाववादियों की ओर से किए गए विरोध-प्रदर्शन को रोकने के लिए गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर के श्रीनगर में प्रतिबंध लगा दिया गया. पुलिस ने एक बयान में कहा, "नौहट्टा, खान्यार, रैनावाड़ी, एम.आर. गंज और सफा कदल पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए गए हैं, जबकि गुरुवार और शुक्रवार को क्रलखुद और मैसूमा पुलिस स्टेशनों के तहत आने वाले क्षेत्रों में आंशिक रूप से प्रतिबंध लगा रहेगा."
कानून और व्यवस्था बनाने रखने के लिए प्रतिबंध
पुलिस ने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं. सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मुहम्मद यासीन मलिक की अगुआई वाले की अलगाववादी धड़े संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) द्वारा 30 अगस्त और 31 अगस्त को अनुच्छेद 35ए के समर्थन में पूरी तरह से बंद का आह्वान किया गया है.
अनुच्छेद 35ए को दी गई है चुनौती
अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है.एनजीओ 'वी द सिटीजन' ने मुख्य याचिका 2014 में दायर की थी.इस याचिका में कहा गया है कि इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर के बाहर के भारतीय नागरिकों को राज्य में संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं है.वहीं कोर्ट में दायर याचिका पर अलगाववादी नेताओं ने एक सूर में कहा था कि अगर कोर्ट राज्य के लोगों के हितों के खिलाफ कोई फैसला देता है, तो जनता आंदोलन के लिए तैयार हो जाए.
क्या है आर्टिकल 35ए
यह कानून 14 मई 1954 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की ओर से लागू किया गया था.आर्टिकल 35ए जम्मू और कश्मीर के संविधान में शामिल है, जिसके मुताबिक राज्य में रहने वाले नागरिकों को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं.साथ ही राज्य सरकार के पास भी यह अधिकार है कि आजादी के वक्तकिसी शर्णार्थी को वह राज्य में सहूलियतें दे या नहीं.आर्टिकल के अनुसार, राज्य से बाहर रहने वाले लोग वहां जमीन नहीं खरीद सकते, न ही हमेशा के लिए बस सकते हैं.
इतना ही नहीं बाहर के लोग राज्य सरकार की स्कीमों का लाभ नहीं उठा सकते और ना ही सरकार के लिए नौकरी कर सकते हैं.कश्मीर में रहने वाली लड़की अगर किसी बाहर के शख्स से शादी कर लेती है तो उससे राज्य की ओर से मिले अधिकार छीन लिए जाते हैं.इतना ही नहीं उसके बच्चे भी हक की लड़ाई नहीं लड़ सकते.
राज्य सरकार की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि राज्य में जल्द होने वाले स्थानीय निकायों के चुनावों के मद्देनजर इस मामले पर 31 अगस्त को सुनवाई न करके इसे आगे के लिए टाल दिया जाए.
पीठ करेगी विचार
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट कहा था कि वो विचार करेगा कि क्या अनुच्छेद 35ए संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन तो नहीं करता है, इसमें विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. सुनवाई के दौरान जम्मू और कश्मीर सरकार ने मामले की सुनवाई दिसंबर तक टालने की मांग की थी हालांकि इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई गौर नहीं किया था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि इस मामले को संविधान पीठ के पास विचार के लिए भेजा जाए या नहीं.
श्रीनगर में प्रतिबंध लगा दिया गया
दूसरी ओर अनुच्छेद 35ए के समर्थन में अलगाववादियों की ओर से किए गए विरोध-प्रदर्शन को रोकने के लिए गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर के श्रीनगर में प्रतिबंध लगा दिया गया. पुलिस ने एक बयान में कहा, "नौहट्टा, खान्यार, रैनावाड़ी, एम.आर. गंज और सफा कदल पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए गए हैं, जबकि गुरुवार और शुक्रवार को क्रलखुद और मैसूमा पुलिस स्टेशनों के तहत आने वाले क्षेत्रों में आंशिक रूप से प्रतिबंध लगा रहेगा."
कानून और व्यवस्था बनाने रखने के लिए प्रतिबंध
पुलिस ने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं. सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मुहम्मद यासीन मलिक की अगुआई वाले की अलगाववादी धड़े संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) द्वारा 30 अगस्त और 31 अगस्त को अनुच्छेद 35ए के समर्थन में पूरी तरह से बंद का आह्वान किया गया है.
अनुच्छेद 35ए को दी गई है चुनौती
अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है.एनजीओ 'वी द सिटीजन' ने मुख्य याचिका 2014 में दायर की थी.इस याचिका में कहा गया है कि इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर के बाहर के भारतीय नागरिकों को राज्य में संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं है.वहीं कोर्ट में दायर याचिका पर अलगाववादी नेताओं ने एक सूर में कहा था कि अगर कोर्ट राज्य के लोगों के हितों के खिलाफ कोई फैसला देता है, तो जनता आंदोलन के लिए तैयार हो जाए.
क्या है आर्टिकल 35ए
यह कानून 14 मई 1954 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की ओर से लागू किया गया था.आर्टिकल 35ए जम्मू और कश्मीर के संविधान में शामिल है, जिसके मुताबिक राज्य में रहने वाले नागरिकों को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं.साथ ही राज्य सरकार के पास भी यह अधिकार है कि आजादी के वक्तकिसी शर्णार्थी को वह राज्य में सहूलियतें दे या नहीं.आर्टिकल के अनुसार, राज्य से बाहर रहने वाले लोग वहां जमीन नहीं खरीद सकते, न ही हमेशा के लिए बस सकते हैं.
इतना ही नहीं बाहर के लोग राज्य सरकार की स्कीमों का लाभ नहीं उठा सकते और ना ही सरकार के लिए नौकरी कर सकते हैं.कश्मीर में रहने वाली लड़की अगर किसी बाहर के शख्स से शादी कर लेती है तो उससे राज्य की ओर से मिले अधिकार छीन लिए जाते हैं.इतना ही नहीं उसके बच्चे भी हक की लड़ाई नहीं लड़ सकते.
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