नई दिल्ली: भारतीय परिवारों में आम तौर पर मसाले के तौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी का उपयोग आंख की ऑप्टिक नर्व को होने वाले नुकसान के इलाज में मददगार हो सकती है. इस नर्व के नुकसान से दृष्टि को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है. इस शोध का प्रकाशन 'जर्नल साइंसटिफिक रिपोर्ट्स' में किया गया है. कुरकुमिन (हल्दी का बॉयोएक्टिव घटक) का इस्तेमाल आई ड्रॉप के तौर पर करने रेटिना कोशिकाओं के नुकसान को कम करता है. रेटिना की कोशिकाओं का नुकसान ग्लूकोमा का शुरुआती लक्षण है.
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के फ्रांसेस्का कॉडेरो ने कहा, 'कुरक्युमिन एक उत्तेजक यौगिक है जो कई तरह के आंख व दिमाग की स्थितियों में न्यूरोडिजेनेरशन की पहचान व इसके इलाज में मददगार है. इसमें ग्लूकोमा व अल्जाइमर रोग भी है. इसलिए इसके प्रबंधन से आइड्रॉप के तौर लाखों लोगों को मदद मिल सकती है'. चूंकि कुरक्यूमिन कम घुलनशील है और यह आसानी से घुल नहीं सकता, बल्कि रक्त में अवशोषित हो जाता है, इसलिए इसे मुंह से लिया जाना मुश्किल है. शोधकर्ताओं ने एक नैनोकैरियर विकसित किया है, जिसमें कुरक्युमिन होता है, जो मानव के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित होता है.
बता दें कि ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया भी कहा जाता है. आंखों में कुछ ऑप्टिक नर्व होते हैं. आंखों पर बढा दबाव इन ऑप्टिक नर्व को डैमेज करने लगता है और आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है. अगर इसके शुरूआती लक्षणों का पता न चले तो मरीज अंधा भी हो सकता है. वहीं मधुमेह के मरीजों को ग्लूकोमा होने का खतरा ज्यादा रहता हैं. हालांकि सही समया पर ग्लूकोमा का पता चल जाने पर अगर मरीज इसका इलाजकरवाए तो इसके बुरे परिणाम से बचा जा सकते है.
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के फ्रांसेस्का कॉडेरो ने कहा, 'कुरक्युमिन एक उत्तेजक यौगिक है जो कई तरह के आंख व दिमाग की स्थितियों में न्यूरोडिजेनेरशन की पहचान व इसके इलाज में मददगार है. इसमें ग्लूकोमा व अल्जाइमर रोग भी है. इसलिए इसके प्रबंधन से आइड्रॉप के तौर लाखों लोगों को मदद मिल सकती है'. चूंकि कुरक्यूमिन कम घुलनशील है और यह आसानी से घुल नहीं सकता, बल्कि रक्त में अवशोषित हो जाता है, इसलिए इसे मुंह से लिया जाना मुश्किल है. शोधकर्ताओं ने एक नैनोकैरियर विकसित किया है, जिसमें कुरक्युमिन होता है, जो मानव के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित होता है.
बता दें कि ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया भी कहा जाता है. आंखों में कुछ ऑप्टिक नर्व होते हैं. आंखों पर बढा दबाव इन ऑप्टिक नर्व को डैमेज करने लगता है और आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है. अगर इसके शुरूआती लक्षणों का पता न चले तो मरीज अंधा भी हो सकता है. वहीं मधुमेह के मरीजों को ग्लूकोमा होने का खतरा ज्यादा रहता हैं. हालांकि सही समया पर ग्लूकोमा का पता चल जाने पर अगर मरीज इसका इलाजकरवाए तो इसके बुरे परिणाम से बचा जा सकते है.
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