नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के मंडावली इलाके में कथित तौर पर भूख से हुई तीन बच्चियों की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है. दिल्ली सरकार के आदेश पर हुई मजिस्ट्रेट जांच में कहा गया है कि बच्चों की मौत भुखमरी से नहीं हुई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिच्चियों को दस्त की समस्या थी, जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें 23 जुलाई की रात गर्म पानी में अनजान दवा मिलाकर पिलाई थी. 24 जुलाई की सुबह पिता काम ढूंढने के लिए घर से निकले लेकिन लौटकर नहीं आए. इस वजह से इस मामले में संदेह पैदा हो रहा है और इसकी विस्तृत जांच कराई जानी चाहिए.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि परिवार जिस हालात में रह रहा था, उसे देखकर साफ है कि मरने वाले बच्चों का पोषक स्तर अच्छा नहीं था, लेकिन बच्चों को कुछ खाने का सामान लगातार मिल रहा था. एसडीएम प्रीत विहार की जांच रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मरने वाली बच्ची में सबसे बड़ी 8 साल की बच्ची के बैंक खाते में 1805 थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि मारने वाली बच्चियां उल्टी और दस्त से पीड़ित थीं, उन्हें जरूरी ORS घोल और दवा नहीं मिली होगी, जिसके चलते वे पानी की कमी (dehydration) का शिकार हो गई होंगी.
इससे पहले दो बार हुई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि तीनों लड़कियों के ‘पेट खाली थे’ और उनके शरीर में जरा सा भी वसा नहीं पाया गया. केंद्र सरकार ने भी तीनों बहनों की मौत के मामले में जांच के आदेश दिए हैं जबकि दिल्ली के उप - मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि गरीबी और बीमार होने के कारण मौतें हुई हैं और यह व्यवस्था की सबसे बड़ी नाकामी है.
इस घटना के बाद संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई. बीजेपी और कांग्रेस इतने चौंकाने वाले मामले का ठीकरा आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर फोड़ रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी नेताओं से कह रही है कि वे इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करें.
कई नेताओं ने मृतक लड़कियों की मां से मिलकर उन्हें नगद राशि दी. वह हताश और बीमार दिख रही थीं. 24 जुलाई को घर से जाने के बाद ही इन लड़कियों के पिता वापस नहीं लौटै. उसी दिन लड़कियों की मां उन्हें अस्पताल लेकर गई थी. सिसोदिया ने समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय से कहा कि वह इलाके में रह रहे लोगों के रिकॉर्ड रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का ब्योरा सौंपे और जवाबदेही तय करे.
इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी कर चार हफ्तों के भीतर उनसे रिपोर्ट मांगी है. बीजेपी नेताओं ने ‘आप’ सरकार पर हमला बोलते हुए दावा किया कि दिल्ली में ‘राशन घोटाला’ हुआ है, जिसकी वजह से सब्सिडी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि परिवार जिस हालात में रह रहा था, उसे देखकर साफ है कि मरने वाले बच्चों का पोषक स्तर अच्छा नहीं था, लेकिन बच्चों को कुछ खाने का सामान लगातार मिल रहा था. एसडीएम प्रीत विहार की जांच रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मरने वाली बच्ची में सबसे बड़ी 8 साल की बच्ची के बैंक खाते में 1805 थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि मारने वाली बच्चियां उल्टी और दस्त से पीड़ित थीं, उन्हें जरूरी ORS घोल और दवा नहीं मिली होगी, जिसके चलते वे पानी की कमी (dehydration) का शिकार हो गई होंगी.
इससे पहले दो बार हुई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि तीनों लड़कियों के ‘पेट खाली थे’ और उनके शरीर में जरा सा भी वसा नहीं पाया गया. केंद्र सरकार ने भी तीनों बहनों की मौत के मामले में जांच के आदेश दिए हैं जबकि दिल्ली के उप - मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि गरीबी और बीमार होने के कारण मौतें हुई हैं और यह व्यवस्था की सबसे बड़ी नाकामी है.
इस घटना के बाद संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई. बीजेपी और कांग्रेस इतने चौंकाने वाले मामले का ठीकरा आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर फोड़ रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी नेताओं से कह रही है कि वे इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करें.
कई नेताओं ने मृतक लड़कियों की मां से मिलकर उन्हें नगद राशि दी. वह हताश और बीमार दिख रही थीं. 24 जुलाई को घर से जाने के बाद ही इन लड़कियों के पिता वापस नहीं लौटै. उसी दिन लड़कियों की मां उन्हें अस्पताल लेकर गई थी. सिसोदिया ने समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय से कहा कि वह इलाके में रह रहे लोगों के रिकॉर्ड रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का ब्योरा सौंपे और जवाबदेही तय करे.
इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी कर चार हफ्तों के भीतर उनसे रिपोर्ट मांगी है. बीजेपी नेताओं ने ‘आप’ सरकार पर हमला बोलते हुए दावा किया कि दिल्ली में ‘राशन घोटाला’ हुआ है, जिसकी वजह से सब्सिडी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही.
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