नई दिल्ली: हर व्यक्ति कम समय में धनवान बनना चाहता है. इसके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग ऐसी होनी चाहिए, जो लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण रोल निभाए. इसके लिए जरूरी है कि हम पहले से ही अपनी प्लानिंग तैयार करें और निवेश के सही रास्ते तलाश करें. समय पर अगर फाइनेंशियल प्लानिंग की जाए तो निश्चित ही कम समय में अमीर बना जा सकता है. अमीर बनने के लिए जल्दबाजी में कदम नहीं उठाना चाहिए. आज हम आपको बताएंगे फाइनेंशियल प्लानिंग के कुछ ऐसे ही नुस्खे, जिन्हें अपनाकर आप भी अमीर बन सकते हैं.
1. रिटर्न के पीछे भागने में है नुकसान
सामान्य तौर पर रिटर्न एकमात्र ऐसी वजह होती है, जिसके लिए लोग इन्वेस्ट करते हैं. इसलिए, इन्वेस्टर्स के मन में यह सवाल जरूर रहता है कि इन दिनों इन्वेस्ट कहां किया जाए. इसी वजह से इन्वेस्टर अलग-अलग एसेट्स जैसे इक्विटी तो कभी गोल्ड में पैसा लगाते हैं. इस आदत के चलते वे कहीं से भी मोटा रिटर्न हासिल नहीं कर पाते. रिटर्न के पीछे भागने की आदत ज्यादातर इन्वेस्टर में होती है. इस व्यवहार से आपका इन्वेस्ट पोर्टफोलियो गड़बड़ाता है, क्योंकि, आप बाजार में निवेश के सही समय का निर्धारण नहीं कर सकते. इसलिए, फाइनेंशियल प्लानिंग का पहला मंत्र है रिटर्न के पीछे मत भागिए.
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2. जल्दबाजी में न करें टैक्स प्लानिंग
इन्वेस्टर सिर्फ टैक्स सेविंग के लिए इन्वेस्ट कर एक बड़ी गलती करते हैं. ज्यादातर लोग धारा 80सी के तहत इन्वेस्ट करते हैं और यह उनके इन्वेस्टमेंट का लगभग 80 फीसदी होता है. यही वजह है कि टैक्स प्लानिंग किसी भी व्यक्ति के पर्सनल फाइनेंस का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. इसे तरीके से प्लान करने की जरूरत है. धारा 80सी के तहत इन्वेस्टमेंट के कई विकल्प हैं, जिनके जरिए आप अपनी कम अवधि और लंबी अवधि के लक्ष्यों को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के हिसाब से चुन सकते हैं. लेकिन, अगर आप केवल टैक्स सेविंग के बारे में सोचेंगे तो अनजाने में आप कुछ ऐसे प्रोडक्ट भी खरीद लेते हैं, जिनकी आपको कोई जरूरत नहीं होती है.
3. प्रोडक्ट को समझ कर ही करें इन्वेस्ट
अक्सर इन्वेस्टर अपने दोस्त, रिश्तेदार को खुश करने के लिए उनके इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स खरीद लेते हैं, लेकिन ये आपकी फाइनेंशियल स्थिति को बिगाड़ सकते हैं. अगर आपको प्रोडक्ट की समझ नहीं है या फिर उसकी जरूरत नहीं है तो उसे न लें. अपनी जरूरत के हिसाब से ही प्रोडक्ट खरीदें.
4. फ्यूचर इनकम पर न लें लोन
अच्छे इन्वेस्टर के लिए जरूरी है कि फ्यूचर में होने वाली कमाई के आधार पर इन्वेस्टमेंट न करें. अक्सर लोग होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड इसलिए लेते हैं कि उनके खर्च चलते रहें और आने वाले टाइम में कमाई बढ़ने पर इसका कर्ज चुका सकें, लेकिन यह सही नहीं है. लोन लेना फ्यूचर की फाइनेंशियल प्लानिंग को प्रभावित करता है. किसी भी व्यक्ति को अपने फाइनेंस की वास्तविक समझ होनी चाहिए. इसके बाद ही किसी को पैसे खर्च करने चाहिए.
5. अपनी इच्छाओं पर भी खर्च कीजिए
बचत के साथ-साथ अपनी इच्छाओं पर भी खर्च कीजिए. इन्वेस्टर के रूप में यह सोचना ठीक नहीं है कि जब पैसे नहीं रहेंगे तो क्या होगा. इसलिए, वर्तमान व भविष्य की जरूरतों और इच्छाओं के बीच संतुलन होना बहुत जरूरी है. छुट्टियां मनाने जाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना रिटायरमेंट के लिए बचत करना. लेकिन, अगर रिटायरमेंट की बचत आपके छुट्टियां मनाने से प्रभावित होती है तो अपने अन्य खर्च घटाएं, छुट्टियों के दिन कम करें और बजट बनाकर चलें. अगर आप फाइनेंशियली प्लान्ड होते हैं तो आपकी हर प्लानिंग सक्सेसफुल रहती है.
6. एक ही एसेट क्लास में न करें ज्यादा इन्वेस्ट
अगर आप बाजार में छोटी अवधि में ज्यादा मुनाफा देने वाले रुझानों को देखते हैं तो संभव है कि आप किसी एक एसेट क्लास में ज्यादा इन्वेस्ट कर रहे होते हैं. ज्यादातर लोग केवल पब्लिक प्रोविडेंट फंड, पारंपरिक एंडोर्समेंट प्लान, बैंक एफडी में इन्वेस्ट कर डेट पर आश्रित रह जाते हैं. ऐसे इन्वेस्टर्स को इक्विटी में इन्वेस्ट करते हुए डर लगता है और उनके पास रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते. लेकिन, सफल इन्वेस्टर का सूत्र यह है कि एसेट क्लास को समझते हुए जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को समय-समय पर बैलेंस करते रहें.
7. बेवजह न करें इन्वेस्ट
लक्ष्य आपकी बचत को दिशा देते हैं. यह इन्वेस्टमेंट की अवधि निर्धारित करने में मदद करते हैं. अवधि की वजह से आपको उचित एसेट क्लास चुनने में मदद मिलती है. यही नहीं यह एसेट क्लास सही प्रोडक्ट चुनने में भी मदद करता है. अगर आपके पास अपने इन्वेस्टमेंट का उचित कारण है या दूसरे शब्दों में कहें तो अगर आप इन्वेस्टमेंट का लक्ष्य तय नहीं करते हैं तो इस बात की संभावना अधिक रहेगी कि आप जल्दबाजी में इन्वेस्ट कर बैठेंगे. वहीं, अगर आप लक्ष्य तय करते हैं तो आपके पास दोबारा इन्वेस्टमेंट और विथड्रॉल करने वक्त पूरी जानकारी होगी.
8. बजट बनाकर चलें
आपको यह समझना चाहिए कि आप कहां खर्च कर रहे हैं, क्यों खर्च कर रहे हैं और इस खर्च से आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग किस तरह प्रभावित हो रही है. जब आप फाइनेंस के सभी पहलुओं को साथ लेकर चलते हैं तो आपको अपने खर्च के मामले में प्लान्ड रहना चाहिए और इस प्लानिंग को बनाए रखने के लिए बजट बनाकर चलना चाहिए. बजट से आपको खर्च करने में मदद मिलेगी. आपकी बचत की राशि में भी इजाफा होगा. अगर आपको खर्च का बजट बनाने में दिक्कत होती है तो आप बचत का बजट बनाकर चलिए. यह तय कर लीजिए आपको अपनी कमाई का कितना हिस्सा महीने में बचाना है और फिर बाकी पैसों से खर्च चलाएं.
9. जरूरत पड़ने पर लें फाइनेंशियल प्लानर की मदद
अगर आप खुद से तय नहीं कर पा रहे हैं कि आपको कहां और कितना इन्वेस्ट करना चाहिए तो फाइनेंशियल प्लानर की मदद लें. आपका इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट आपको बिना लालच और भेद-भाव के सलाह देगा, क्योंकि यह उसका प्रोफेशन होता है. अब फाइनेंशियल प्लानर्स भी नियमन के दायरे में आ गए हैं. एक ईमानदार और जानकार फाइनेंशियल प्लानर ही सही सलाह देकर आपकी फाइनेंशियल स्टेट्स को मजबूत बना सकता है.s
1. रिटर्न के पीछे भागने में है नुकसान
सामान्य तौर पर रिटर्न एकमात्र ऐसी वजह होती है, जिसके लिए लोग इन्वेस्ट करते हैं. इसलिए, इन्वेस्टर्स के मन में यह सवाल जरूर रहता है कि इन दिनों इन्वेस्ट कहां किया जाए. इसी वजह से इन्वेस्टर अलग-अलग एसेट्स जैसे इक्विटी तो कभी गोल्ड में पैसा लगाते हैं. इस आदत के चलते वे कहीं से भी मोटा रिटर्न हासिल नहीं कर पाते. रिटर्न के पीछे भागने की आदत ज्यादातर इन्वेस्टर में होती है. इस व्यवहार से आपका इन्वेस्ट पोर्टफोलियो गड़बड़ाता है, क्योंकि, आप बाजार में निवेश के सही समय का निर्धारण नहीं कर सकते. इसलिए, फाइनेंशियल प्लानिंग का पहला मंत्र है रिटर्न के पीछे मत भागिए.
घर बैठे इंटरनेट से कमाई के 5 तरीके, हर दिन कमा सकते हैं हजारों
2. जल्दबाजी में न करें टैक्स प्लानिंग
इन्वेस्टर सिर्फ टैक्स सेविंग के लिए इन्वेस्ट कर एक बड़ी गलती करते हैं. ज्यादातर लोग धारा 80सी के तहत इन्वेस्ट करते हैं और यह उनके इन्वेस्टमेंट का लगभग 80 फीसदी होता है. यही वजह है कि टैक्स प्लानिंग किसी भी व्यक्ति के पर्सनल फाइनेंस का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. इसे तरीके से प्लान करने की जरूरत है. धारा 80सी के तहत इन्वेस्टमेंट के कई विकल्प हैं, जिनके जरिए आप अपनी कम अवधि और लंबी अवधि के लक्ष्यों को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के हिसाब से चुन सकते हैं. लेकिन, अगर आप केवल टैक्स सेविंग के बारे में सोचेंगे तो अनजाने में आप कुछ ऐसे प्रोडक्ट भी खरीद लेते हैं, जिनकी आपको कोई जरूरत नहीं होती है.
3. प्रोडक्ट को समझ कर ही करें इन्वेस्ट
अक्सर इन्वेस्टर अपने दोस्त, रिश्तेदार को खुश करने के लिए उनके इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स खरीद लेते हैं, लेकिन ये आपकी फाइनेंशियल स्थिति को बिगाड़ सकते हैं. अगर आपको प्रोडक्ट की समझ नहीं है या फिर उसकी जरूरत नहीं है तो उसे न लें. अपनी जरूरत के हिसाब से ही प्रोडक्ट खरीदें.
4. फ्यूचर इनकम पर न लें लोन
अच्छे इन्वेस्टर के लिए जरूरी है कि फ्यूचर में होने वाली कमाई के आधार पर इन्वेस्टमेंट न करें. अक्सर लोग होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड इसलिए लेते हैं कि उनके खर्च चलते रहें और आने वाले टाइम में कमाई बढ़ने पर इसका कर्ज चुका सकें, लेकिन यह सही नहीं है. लोन लेना फ्यूचर की फाइनेंशियल प्लानिंग को प्रभावित करता है. किसी भी व्यक्ति को अपने फाइनेंस की वास्तविक समझ होनी चाहिए. इसके बाद ही किसी को पैसे खर्च करने चाहिए.
5. अपनी इच्छाओं पर भी खर्च कीजिए
बचत के साथ-साथ अपनी इच्छाओं पर भी खर्च कीजिए. इन्वेस्टर के रूप में यह सोचना ठीक नहीं है कि जब पैसे नहीं रहेंगे तो क्या होगा. इसलिए, वर्तमान व भविष्य की जरूरतों और इच्छाओं के बीच संतुलन होना बहुत जरूरी है. छुट्टियां मनाने जाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना रिटायरमेंट के लिए बचत करना. लेकिन, अगर रिटायरमेंट की बचत आपके छुट्टियां मनाने से प्रभावित होती है तो अपने अन्य खर्च घटाएं, छुट्टियों के दिन कम करें और बजट बनाकर चलें. अगर आप फाइनेंशियली प्लान्ड होते हैं तो आपकी हर प्लानिंग सक्सेसफुल रहती है.
6. एक ही एसेट क्लास में न करें ज्यादा इन्वेस्ट
अगर आप बाजार में छोटी अवधि में ज्यादा मुनाफा देने वाले रुझानों को देखते हैं तो संभव है कि आप किसी एक एसेट क्लास में ज्यादा इन्वेस्ट कर रहे होते हैं. ज्यादातर लोग केवल पब्लिक प्रोविडेंट फंड, पारंपरिक एंडोर्समेंट प्लान, बैंक एफडी में इन्वेस्ट कर डेट पर आश्रित रह जाते हैं. ऐसे इन्वेस्टर्स को इक्विटी में इन्वेस्ट करते हुए डर लगता है और उनके पास रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते. लेकिन, सफल इन्वेस्टर का सूत्र यह है कि एसेट क्लास को समझते हुए जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को समय-समय पर बैलेंस करते रहें.
7. बेवजह न करें इन्वेस्ट
लक्ष्य आपकी बचत को दिशा देते हैं. यह इन्वेस्टमेंट की अवधि निर्धारित करने में मदद करते हैं. अवधि की वजह से आपको उचित एसेट क्लास चुनने में मदद मिलती है. यही नहीं यह एसेट क्लास सही प्रोडक्ट चुनने में भी मदद करता है. अगर आपके पास अपने इन्वेस्टमेंट का उचित कारण है या दूसरे शब्दों में कहें तो अगर आप इन्वेस्टमेंट का लक्ष्य तय नहीं करते हैं तो इस बात की संभावना अधिक रहेगी कि आप जल्दबाजी में इन्वेस्ट कर बैठेंगे. वहीं, अगर आप लक्ष्य तय करते हैं तो आपके पास दोबारा इन्वेस्टमेंट और विथड्रॉल करने वक्त पूरी जानकारी होगी.
8. बजट बनाकर चलें
आपको यह समझना चाहिए कि आप कहां खर्च कर रहे हैं, क्यों खर्च कर रहे हैं और इस खर्च से आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग किस तरह प्रभावित हो रही है. जब आप फाइनेंस के सभी पहलुओं को साथ लेकर चलते हैं तो आपको अपने खर्च के मामले में प्लान्ड रहना चाहिए और इस प्लानिंग को बनाए रखने के लिए बजट बनाकर चलना चाहिए. बजट से आपको खर्च करने में मदद मिलेगी. आपकी बचत की राशि में भी इजाफा होगा. अगर आपको खर्च का बजट बनाने में दिक्कत होती है तो आप बचत का बजट बनाकर चलिए. यह तय कर लीजिए आपको अपनी कमाई का कितना हिस्सा महीने में बचाना है और फिर बाकी पैसों से खर्च चलाएं.
9. जरूरत पड़ने पर लें फाइनेंशियल प्लानर की मदद
अगर आप खुद से तय नहीं कर पा रहे हैं कि आपको कहां और कितना इन्वेस्ट करना चाहिए तो फाइनेंशियल प्लानर की मदद लें. आपका इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट आपको बिना लालच और भेद-भाव के सलाह देगा, क्योंकि यह उसका प्रोफेशन होता है. अब फाइनेंशियल प्लानर्स भी नियमन के दायरे में आ गए हैं. एक ईमानदार और जानकार फाइनेंशियल प्लानर ही सही सलाह देकर आपकी फाइनेंशियल स्टेट्स को मजबूत बना सकता है.s
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